W1 | Cinquiesmme | | | nouvelle | | | En | leglise | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | de | | | | | | | | sainct Jehan | de Lyon | ya | | une | | chapelle | | fort obscure | | | | et | | dedans | | ung | | sepulcre | faict | de | pierre | & | grands | personnages | esleves | | | comme le vif | | | et | sont | alentour | du | sepulcre | plusieurs | | hommes | d armes | couchez | | Ung | jour | | ung | soldat | | se | promenant | | | l’eglise | , | au | tant | | d’esté | | qui | faict | grand | chault | | | luy | | print | | envye | de | dormyr | | | | regardant | ceste | chappelle | obscure | | et | fresche | | | pensa d’aller garder | | au | | | | | | sepulcre | | | en | dormant | comme les | aultres | | aupres | desquels | il se coucha. | Or | | advint-il | | que | une | bonne | vieille | fort | dévote | arriva | auplus fort de son | | | somme | | et | | après | qu’elle | eut | dict | ses | devotions | , | tenant | une chandelle | ardante | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | en | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | sa | main, la voullut attacher au | | sepulcre | . | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | |
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W10 | | | Cinquiesme | Nouvelle | | . | En | l eglise | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | de | | | | | | | | sainct Jehan | de Lyon | | y a | une | | chapelle | | fort obscure | | | | | | | , | | un | sepulcre | faict | de | pierre | a | grands | personnages | esleves | | comme le vif | & | | | | sont | alentour | du | sepulcre | plusieurs | [?] | hommes | darmes | couchez | . | Ung | jour | | ung | soldar | | se | promenan | | dans | l’eglise | | au | temps | | d’esté | | qui | faict | grand | chault | , | | luy | | print | | envye | de | dormyr | . | Et | , | regardant | ceste | chappelle | obscure | | et | fresche | , | | | pensa | | d’aller | | garder | | | le | Sepulcre | , | en | dormant | comme les | aultres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint | il | que | une | bonne | vielle | fort | devote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | , | et | , | après | quelle | eut | dict | ses | devotions | , | tenant | une chandelle | ardante | en | sa main, | la voulut | atacher | au | Sepulcre | . | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | |
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W11 | | | Cinquiesme | Nouvelle | | . | En | l eglise | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | de | | | | | | | | sainct Jehan | de Lyon | | y a | une | | chapelle | | fort obscure | | | | | | | , | et devant | un | sepulcre | faict | de | pierre | a | grands | personnages | esleves | | comme le vif | & | | | | sont | alentour | du | sepulcre | plusieurs | | hommes | darmes | couchez | . | Ung | jour | | ung | soldat | | se | promenant | | dans | l’eglise | | au | temps | | d’esté | | qui | faict | grand | chault | , | | luy | | print | | envye | de | dormyr | , et | | | regardant | ceste | chappelle | obscure | | et | fresche | , | | | pensa | | d’aller | | garder | | | le | Sepulcre | , | en | dormant | comme les | aultres | , | au près | desquels | il se coucha. | Or | | advint | il | que | une | bonne | vielle | fort | devote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | et | | | après | quelle | eut | dict | ses | devotions | | tenant | une chandelle | ardante | en | sa main, | la voulut | atacher | au | Sepulcre | . | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | |
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W12 | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | En | l’eglise | de | sainct Jehan | de Lyon | | y a | une | | chapelle | | fort obscure | | | | et | | dedans | | ung | | sepulcre | faict | de | pierre | & | grandz | personnages | eslevez | | comme le vif | & | | | | sont | alentour | du | sepulcre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchez | . | Ung | jour | | ung | soldar | | se | promenan | | dans | l’eglise | | au | temps | | d’esté | | qui | faict | grant | chault | , | | luy | | print | | envye | de | dormir | . | Et | , | regardant | ceste | chappelle | obscure | | et | fresche | , | | | pensa | | d’aller | | garder | | | le | Sepulchre | , | en | dormant | comme les | aultres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint-il | | que | une | bonne | vielle | fort | devotte | arriva | | au plus fort de son | | somme | , | et | , | après | quelle | eust | faict | ses | devotions | , | tenant | une chandelle | ardante | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | en | la | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | main, la voullut attacher au | | Sepulchre | . | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | |
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W13 | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | En | l’eglise | | | | | | de | | | | | | | | sainct Jehan | de Lyon | ya | | une | | | chappelle | fort obscure | | & devant | | | | | | ung | sepulchre | | faict | de | pierre | a | grandz | personnages | eslevez | | comme le vif | & | | | | sont | alentour | du | sepulcre | plusieurs | | hommes | darmes | couchez | | Ung | jour | | ung | souldar | | se | promenant | | dans | leglise | | au | temps | | deste | | qui | faict | grand | chault | | lui | | | print | | envye | de | dormir | Et | | | regardant | ceste | chappelle | obscure | | & | fresche | | | | pensa | | | daller | garder | | | le | sepulcre | | en | dorman | comme les | autres | | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint-il | | que | une | bonne | vieille | fort | devote | arriva | [?] [?] [?] | au plus fort de son | sommeil | | & | | | après | qu’elle | eut | dict | ses | devotions | | tenant | une chandelle | ardante | en | la main | la voulut | attacher | au | Sepulcre | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | |
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W14 | HISTOIRE TRENTE-SIXIEME | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | . | EN | l’eglise | Sainct Jean de Lyon | , | y avoit | une chapelle fort obscure | & | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | dedans | | un | sepulchre | | faict | de | pierre | à | grandz | personnages | eslevez | | | comme le vif | | , | & | sont | à l’entour | du | sepulchre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchez | . | Un | | | | soldat | | se | promenant | un jour | dans | l’Eglise | , | au | temps | | d’Esté | | qu’il | faict | grand | chault | , | | luy | | print | envie | | de | dormir | , | & | | regardant | ceste | chapelle | obscure | | & | fresche | , | | | pensa | | | d’aller | | au | | sepulcre | | dormir | | | comme les | autres | , | aupres | desquelz | il se coucha. | Or | | advint | | que | une | bonne | vieille | fort | devote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | . Et apres | | | | qu’elle | eut | dict | ses | devotions | , | tenant | une chandelle | | en | sa main, | la voulut | attacher | au | sepulchre | . | Et | | là | | trouvant | le plus | pres | d’icelle | cest | homme | endormy | | , | la | luy voulut | | | | mettre | au | fronc | , | pensant | , | qu’il | fust | de pierre | : | mais la | cyre | ne | peut | tenir contre | ceste | pierre | . | La bonne | dame | | qui | pensoit | que | ce | fust | à cause de la | froideur | de | l’image | , luy | | va | mettre | le feu contre le | fronc | , | pour y | faire tenir sa | | bougie | | : | mais | | l’image | | qui | n’estoit | | insensible | , | commança | à | s’escrier | , | dont | la | | femme eut | | peur | . Et | | | comme | toute | hors | du | sens | , | se | print | à | crier | , | | miracle | , | miracle | . | | | | | Tant | | que tous | ceulx | | qui | estoient | dans | l’eglise | | coururent | | les | ungs | à sonner les | cloches, les | autres | à | venir | veoir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | veoir | l’image qui | s’estoit | | remuée | , | que | | donna occasion à plusieurs de | rire | | : | | mais | quelques | prestres | ne | s’en | | pouvoient | contenter | . | Car | ilz | avoient | bien | deliberé | de faire | valoir | ce | sepulchre | , | & | en | tirer | argent | | | | | | | | | | | | | | | . | Puis | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | dist | Hircan, | | que | vous avez commencé à parler des femmes, je vous prie nous faire le conte de quelqu’une qui | | | | | soit | un peu plus rusée. Mes dames, dist | il | , j’ay esté si | | | mal | recompensé de mes longs services, que pour me venger | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | d’amour | & de celle qui m’est si cruelle | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | , | je | mettray peine de faire un recueil de tous les mauvais tours, que les femmes | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | ont | faict au pauvres hommes, | | & | si ne diray rien que pure verité. | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | |
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W15 | | | | | | | Simplicité d’une vieille | , | qui | presenta | une chandelle | ardante | à | sainct | Jean | de Lyon, | & | l’attacha | contre le front | d’un | soldat | , | qui | dormoit sur un | sepulchre | : & | | de | ce | qui | en | advint | .
NOUVELLE CINQIESME | . | EN | L’EGLISE | Sainct Jean de Lyon | , | y avoit | une chapelle fort obscure | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | , | & | | dedans | , | un | sepulchre | | faict | de | pierre | à | grands | personnages | eslevez | , | | comme le vif | | , | & | sont | à l’entour | du | sepulchre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchez | . | Un | | | | soldat | | se | promenant | un jour | dans | l’Eglise | , | au | temps | | d’esté | | qu’il | faict | grand | chauld | , | | luy | | print | envie | | de | dormir | , | & | | regardant | ceste | chapelle | obscure | | & | fresche | , | | | pensa | | | d’aller | | | au | sepulchre | | dormir | , | | comme les | autres | , | aupres | desquels | il se coucha. | Or | | advint | qu’une | | | bonne | vieille | fort | devote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | . Et apres | | | | qu’elle | eut | dict | ses | devotions | , | tenant | une chandelle | | en | sa main, | la voulut | attacher | au | sepulchre | : & | | | là | se | trouvant | le plus | pres | d’elle | cest | homme | endormy | | , | la | luy voulut | | | | mettre | au | front | , | pensant | | qu’il | fust | de pierre | : | mais la | cire | ne | peut | tenir contre | ceste | pierre | . | La bonne | dame | , | qui | pensoit | que | ce | fust | à cause de la | froideur | de | l’image | , luy | | va | mettre | le feu contre le | front | , | pour y | faire tenir sa | | bougie | | : | mais | | l’image | , | qui | n’estoit | | insensible | , | commença | à | s’escrier | , | dont | la | | femme eut | | peur | : & | | | comme | toute | hors | du | sens | , | se | print | à | crier | , | | Miracle | , | miracle | : | | | | | tant | | que tous | ceux | , | qui | estoient | dedans | l’Eglise | , | coururent | , | les | uns | à sonner les | cloches, les | autres | à | venir | veoir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | veoir | l’image qui | s’estoit | | remuée | , | | qui | donna occasion à plusieurs de | rire | | : | | mais | quelques | prestres | ne | s’en | | pouvoient | contenter | : | car | ils | avoient | bien | déliberé | de faire | valoir | ce | sepulchre | , | & | en | tirer | argent | | | | | | | | | | | | | | | . | | Regardez | donques | | | | | | | | | | | | , | mes dames, | | | à | quels | saincts | vous | donnerez | voz | chandelles | . | | | C’est | grande chose, | | dist | Hircan, | qu’en | | | quelque | sorte | , | que ce | soit | , | il | fault tousjours | que les femmes | facent | mal | . | Est ce | | mal | faict, | | dist | Nomerfide, | | de porter des chandelles | aux | sepulchres | ? | | Ouy, | | dist | Hircan, | | quand | on | met | le feu | au | | front | des | hommes | : | car | nul | bien | ne se | doit | | dire bien | , | s’il | est | faict | avec | mal. | | Pensez que | la pauvre femme | cuidoit | avoir | faict | un | beau | present | à Dieu | d’une | petite chandelle | . | | | | | | Je | ne regarde | point | , | dist | | | Oisille, | | la valeur | du | present | , mais | le | cueur | qui le | presente | . | Peut estre | que | ceste | bonne femme | avoit | plus | d’amour | à | Dieu | , | que | ceux | , | qui donnent | leurs | grandes | torches | : | car | (comme | dict | l’Evangile) | | elle | donnoit | de | la | necessité | . | | | Si ne | croy-je | | pas, | | dist | Saffredent | , | | que Dieu | , | qui est | | souveraine | sapience, | sceust | avoir | agreable | la | sottise | des femmes | : | car | | combien | que | la simplicité | luy | plaise | , | je | voy | | par | l’escriture | , | qu’il | desprise | l’ignorant | : & | | | s’il | commande | d’estre | simples comme colombes | | | , il | ne commande moins | d’estre | prudens comme serpens | | | . | | Quant est de | moy | , | | dit | Oisille, | | je n’estime | point | estre | ignorante | celle | , | qui porte devant Dieu | sa chandelle | | ou | cierge | ardent | , comme faisant amende | honorable | , les | genoux | en terre | , | & | la torche au poing | , | devant | son souverain seigneur | , auquel | | confessant | sa | damnation | , demande | | en ferme | esperance | | misericorde | & | salut. | | Pleust | à Dieu, | | dist | Dagoucin, | | que | chacun | l’entendist | aussi | bien que vous | ! | Mais je | croy | que les | pauvres | sottes | ne le font pas | à | ceste | intention. | | Oisille | luy | respondit | : | | | Celles | , | qui | | moins | en | sçavent | parler | , | sont | | celles | , | qui | souvent | ont | le | plus de | | sentiment | | de l’amour | & | | | volonté | de Dieu | : | parquoy | ne | fault | juger | , | que | de soy-mesme | . | | | | Emarsuitte | | | en riant | | luy dist | | : | | | Ce n’est pas | | chose | estrange | , | d’avoir | faict | peur | à | un | varlet | qui | dormoit | : | car | aussi | basses | femmes | qu’elle | , | ont | bien | faict | peur | à de | bien | grands princes | , | sans leur | mettre | le feu au front. | | | | Je suis | seur, | | dist | | Dagoucin | | , | | que vous en | sçavez | quelque | histoire | , | que vous | vouler | racompter | : | parquoy | | vous | tiendrez mon lieu | , s’il vous | plaist | . | | Le | compte | ne sera pas long | | , | | | dist | Emarsuitte | | | : | | mais | | si je | | le | pouvois | representer | | | tel | qu’il | advint | , vous n’auriez | point | envie | de | plorer | . | |
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W2 | | LXV | . | NOUVELLE | | . | Simplicité d’une vieille | | qui | présenta | une chandelle | ardente | à | S. | Jean | de Lyon, | & | qui voulut l’attacher | contre le front | d’un | soldat | | qui | dormoit sur un | tombeau | . | | | Ce | qui | en | arriva. | | | | | | Il | y avoit | une chapelle fort obscure | dans l’églife | de | saint Jean | | | | | | | | de Lyon | , & | devant | | la chapelle | | un | | tombeau | fait | | | | | | | | | | de | pierre | à | grands | personnages | représentés au naturel, | | & | | autour il y a | | | | | | | plusieurs | | hommes | d’armes | couchés | . | Un | | | | soldat | | se | promenant | un jour | dans | l’église | , | (c’étoit dans les grandes chaleurs de l’été) il | | lui prit | | envie | | | | | | | | | | | | de | dormir | . | Il jetta les yeux sur | | | cette | chapelle | | , | & la voyant sombre & | fraîche | | , il alla | | | au | | tombeau | | | | | | dormir | | | comme les | autres | | auprès | desquels | il se coucha. | | Au plus fort de son sommeil | arrive | | | une | | vielle | | dévote | . | | | | | | | | Après | qu’elle | eut | fait | ses | dévotions | , | elle voulut attacher au tombeau | une chandelle | qu’elle avoit à | | la main | | | | | | | , | & fe | | trouvant | plus à portée de l’homme | | | | | endormi | que des autres | , | elle se mit | en | devoir de la | lui | | mettre | au | front | , | croyant | | qu’il | étoit | de pierre | ; | mais la | cire | ne | put | tenir contre | cette | pierre | . La bonne | femme | | | qui | crut | que | le froid | | | | de | l’image | empêchoit la chandelle de tenir | , lui | mit | | le feu contre le | front | | pour y | attacher | sa | bougie | | ; | | l’image | | | qui | n’étoit | pas | insensible | , | se mit | à crier | . | | | La | bonne | femme eut | | peur | , | & | | comme | si elle eût été | hors | de | sens | , | commença | | à | crier | | | miracle | , | miracle | ! | | & cria si fort | | | | , | que tous | ceux | | qui | étoient | dans | l’église | , accourent | | , | les | uns | aux | cloches, les | autres | au | | | | miracle. | Elle | les mena | voir | l’image qui | s’etoit | | remuée | , & en fit rire plusieurs | ; | | | | | | | mais | certains | prêtres | ne | se contentant pas d’en | rire, | | résolurent | | | | | | | de faire | valoir | ce | tombeau | , | & | d’en | tirer | de l’argent | | | | | | | | | | | | | | | . | Prenez donc garde | | | | | , | mesdames, | | | | | | | | | | | | à | quels | saints | vous | donnerez | vos | chandelles | . | | | C’est | étrange, | dit | | Hircan, | | que | de | quelque | maniere | | que ce | soit | , | il | faille | que les femmes | fassent | toujours mal. | | | Est-ce | mal | fait | | dit | Nomerfide, | | de porter des chandelles | aux | tombeaux | ? | | Oui , | reprit | | Hircan, | | quand | on | brûle | | | le | front | aux | hommes | ; | car | ce n’est point un | bien | quand il en résulte un | | mal. | | | | | | | | | | La pauvre femme | croyoit | avoir | fait | un | grand | présent | à Dieu | en lui donnant une | petite chandelle | . | | Dieu | | | | | ne regarde | pas | , | | dit | | Oisille, | à | la valeur | du | présent | , mais | au | cœur | qui le | fait | . | Peut-être | cette | | bonne femme | avoit-elle | plus | d’amour | pour | Dieu | , | que | ceux | | qui donnent | de | grandes | torches | ; car | | comme | dit | l’évangile | , | elle | donnoit | de | sa | nécessité | . | | Je | ne crois pourtant | | | pas, | dit | Saffredant | | , | | que Dieu | | qui est | la | souveraine | sagesse, puisse agréer | | | | la | folie | des femmes | . | | | | | La simplicité | lui | plaît | , | il est vrai ; mais | | | | l’écriture | m’apprend | qu’il | méprise | l’ignorant | : | Et | | s’il | y est commandé d’être | | simples comme colombes | | | , il | y est enjoint aussi d’être | | prudents | comme | serpents | . Pourquoi, repartit Oysille, je ne tiens | | | | | | | | | | point | pour | ignorante | celle | | qui porte devant Dieu | son | | | cierge | ardent | , comme faisant amende | honorable | , les | genoux | en terre | , | & | la torche au poing | , | à | son souverain seigneur | pour lui confesser son crime, & lui demander avec une foi vive sa grace & son | | | | | | | | | | | | salut. | | Plût | à Dieu, | dit | | Dagoucin, | | que | tout le monde s’en acquittât | | aussi | bien que vous | ; | mais je | crois | que les | pauvres | ignorantes | ne le font pas | dans cette | | intention. | | | | | | | | Celles | | qui | parlent le | moins | bien, repartit Oysille, | | | | sont | souvent | celles | | qui | | ont | le | | | sentiment | le plus vif | de l’amour | | & | de la | volonté | de Dieu | : | Et par conséquent il est de la prudence de | ne | | juger | | que | de soi-même | . | | | Il n’est pas surprenant, | | dit | Emarsuite | en riant | , | | | | | | | | | | | d’avoir | fait | peur | à | un | valet | qui | dormoit | , | puisque des | | | femmes | aussi médiocres | | ont | | fait | peur | à de | | grands princes | | sans leur | mettre | le feu au front. | | | | Je suis | sûr, dit | | | | Dagoucin | | , | | que vous en | savez | quelque | conte | | que vous | voulez | nous faire | . | Ainsi | | vous | prendrez ma place | , s’il vous | plaît | . | Ce | | conte | ne sera pas long | | , | | dit | Emarsuite | | | | , | | mais | | si je | | | pouvois | vous | le | conter | tel | qu’il | eft arrivé | , vous n’auriez | pas | envie | de | pleurer | . | |
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W3 | SOIXANTE | | CINQUIESME | NOUVELLE | | . | La fausseté | | | | | | | | | | | | | d’un | miracle | | que les prestres | Saint | Jean | de Lyon | vouloient | cacher | | fut | decouverte | par la | congnoissance | | | | | | | | | de | la | sottise | d’une vieille | . | EN | l’eglise | | Sainct Jehan | de Lyon | , | y a | une | | | chappelle | fort obscure | | | , | et | | dedans | | ung | | Sepulcre | faict | de | pierre | à | grans | personnages | eslevez | , | | comme le vif | | ; | et | sont | à l’entour | du | sepulcre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchez | . | Ung | jour | , | ung | souldart | | se | pourmenant | | dans | l’eglise | , | au | temps | | d’esté | | qui | faict | grand | chault | , | | luy | | print | | envye | de | dormir | . | Et | , | regardant | ceste | chappelle | obscure | | et | fresche | , | | | pensa | | d’aller | | garder | | | le | Sepulcre | , | en | dormant | comme les | aultres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint-il | | que | une | bonne | vielle | fort | devote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | , | et | , | après | qu’elle | eut | dict | ses | devotions | , | tenant | une chandelle | ardante | en | sa main, | la voulut | attacher | au | Sepulcre | . | Et | , | | | trouvant | le plus | près | d’icelluy | cest | homme | endormy | | , | la | luy voulut | mectre | | | | au | front | , | pensant | | qu’il | fut | de pierre | . | Mais la | cire | ne | peut | tenir contre | la | pierre | ; | la bonne | dame | , | qui | pensoit | que | ce | fust | à cause de la | froideure | de | l’ymage | , luy | va | mectre | | le feu contre le | front | , | pour y | faire tenir sa | bougye | | | . | Mais l’ymage | | , | | qui | n’estoit | | insensible | , | commencea | à crier | ; | | dont | la | bonne | femme eut | si grand | paour | , | que | | comme | toute | hors | du | sens | | se | print | à | cryer | | | miracle | , | | | | | | | tant | | que tous | ceulx | | qui | estoient | dedans | l’eglise | | coururent | , | les | ungs | à sonner les | cloches, les | autres | à | | veoir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | veoir | l’ymaige | qui | estoit | remuée | | ; | qui | donna occasion à plusieurs de | | rire | | , | mais | les | plusieurs ne | | s’en | | povoient contanter | | , | car | ilz | avoient | bien | deliberé | de faire | valloir | ce | Sepulcre | et | | en | tirer | autant d’argent que du crucifix qui est sur | leur | pupiltre | , lequel | on dict | avoir parlé | , | mais la | comedie | print | fin pour la | congnoissance | de la | sottise | d’une femme | . | « | Si | chascun | congnoissoit | quelles sont leurs sottises | , | elles ne | seroient | pas estimées | sainctes ny | leurs miracles | verité | . | Vous priant | , | mes dames, | doresnavant | regarder | à | quelz sainctz | | vous | baillerez | voz | chandelles | . | — | | C’est | grande chose, | | dist | Hircan, | | que | , en | quelque | sorte | | que ce | soit | , | il | fault tousjours | que les femmes | facent | mal | . | — | Est-ce | mal | faict, | | dist | Nomerfide, | | de porter des chandelles | au | Sepulcre | ? | — | Ouy, | | dist | Hircan, | | quand | on | mect | le feu | contre | le | front | aux | hommes | , | car | nul | bien | ne se | doibt | | dire bien | , | s’il | est | faict | avecq mal. | | — | Pensez que | la pauvre femme | cuydoit | avoir | faict | ung | beau | present | à Dieu | d’une | petite chandelle | ? | | ce dist | madame Oisille | : | | Je | ne regarde | point | la valleur | | | | | | | du | present | , mais | le | cueur | qui le | presente | . | Peut estre | que | ceste | bonne femme | avoit | plus | d’amour | à | Dieu | , | que | ceulx | | qui donnent | les grandz | | torches | , | car | , comme | dist | l’Evangile | , | elle | donnoit | de | sa | necessité | . | — | | Si ne | croy-je | | pas, | | dist | Saffredent | , | | que Dieu | , | qui est | | souveraine | sapience, | peut | avoir | agreable | la | sottise | des femmes | ; | car | , | nonobstant | que | la simplicité | luy | plaise | , | je | voy | , | par | l’Escripture | , | qu’il | desprise | l’ignorant | ; | et | , | s’il | commande | d’estre | simple comme | la | coulombe | , il | ne commande moins | d’estre | prudent | comme | le serpent | . | — | Quant est de | moy | , | | dit | Oisille, | | je n’estime | point | | ignorante | celle | | qui porte devant Dieu | sa chandelle | , | ou | cierge | ardant | , comme faisant amende | honnorable | , les | genoulx | en terre | | et | la torche au poing | | devant | son souverain Seigneur | , auquel | | confesse | sa | damnacion | , demandant | | en ferme | esperance | la | misericorde | et | salut. | — | Pleut | à Dieu, | | dist | Dagoucin, | | que | chascun | l’entendist | aussy | bien que vous | , | mais je | croy que ces | | pauvres | sottes | ne le font pas | à | ceste | intention. | » | Oisille | leur | respondit | : | | « | Celles | | qui | | moins | en | sçavent | parler | | sont | | celles | | qui | | ont | | plus de | | sentiment | | de l’amour | | et | volunté | | de Dieu | ; | parquoy | ne | fault | juger | | que | soy-mesmes. | | | » | | Ennasuitte | | , | en riant, | | luy dist | | : | | « | Ce n’est pas | | chose | estrange | que | d’avoir | faict | paour | à | ung | varlet | qui | dormoit | , | car | aussy | basses | femmes | qu’elle | | ont | bien | faict | paour | à de | bien | grands princes | , | sans leur | mectre | le feu au front. | | — | | Je suis | seur, | | | dist | | Geburon | , | | que vous en | sçavez | quelque | histoire | | que vous | voulez | racompter | ? | Parquoy | , | vous | tiendrez mon lieu | , s’il vous | plaist | . | — | Le | compte | ne sera pas long | | , | | | dist | Ennasuitte | | | , | | mais | , | si je | le | | povois | representer | | | tel | que | advint | , vous n’auriez | point | envye | de | pleurer | . | » |
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W4 | | | | NOUVELLE | LXV | | Simplicité d’une vieille | | qui | présenta | une chandelle | ardente | à | Saint-Jean | | de Lyon, | et | l’attacha | contre le front | d’un | soldat | | qui | dormoit sur un | sépulchre, | | et | de | ce | qui | en | advint | | . | En | l’église | Saint-Jean de Lyon | il | y avoit | une chapelle fort obscure | , et | | | | | | | | | | | | devant | | | | un | | sépulcre | fait | | | | | | | | | | de | pierre | à | grands | personnages | élevés | | | comme le vif | | , et tout | | | à l’entour | du | sépulcre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchés | . | Un | | | | soldat | , | se | promenant | un jour | dans | l’église | , | au | temps | | d’été | | qu’il | fait | grand | chaud | , | | | | print | envie | | de | dormir | ; | et | , | regardant | cette | chapelle | obscure | | et | fraîche | , | | | pensa | | d’aller | | | au | | | sépulcre | dormir | | | comme les | autres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint | qu’une | | | bonne | vieille | fort | dévote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | . | Et | , | après | qu’elle | eut | dit | ses | dévotions | , | tenant | une chandelle | | en | sa main, | la voulut | attacher | au | sépulcre | , | et | | là | | trouvant | le plus | près | d’icelle | cet | homme | endormi | | , | la | | | | voulut | mettre | au | front | , | pensant | | qu’il | fût | de pierre | ; | mais la | cire | ne | put | tenir contre | cette | pierre | . La bonne | | dame | , | qui | pensoit | que | ce | fût | à cause de la | froideur | de | l’image | | , lui | va | mettre | le feu contre le | front | | pour y | faire tenir sa | | bougie | | , | mais | | l’image | , | qui | n’étoit | | insensible | , | commença | à | s’écrier : | | dont | la | | femme eut | | peur | , | et | , | comme | toute | hors | de | sens | , | se | print | à | crier | : | | | | Miracle | ! | miracle | | ! | | tant | , | que tous | ceux | | qui | étoient | dans | l’église | | coururent | , | les | uns | à sonner les | cloches, les | autres | à | venir | voir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | voir | l’image qui | s’étoit | | remuée | : | | qui | donna occasion à plusieurs de | rire | | ; | | mais | quelques | prêtres | ne | s’en | | pouvoient | contenter | , | car | ils | avoient | bien | délibéré | de faire | valoir | ce | sépulcre | et | | en | tirer | argent | | | | | | | | | | | | | | | . | « | Regardez | doncques | . | | | Mesdames, | | | | | | | | | | | | à | quels | saints | vous | donnerez | vos | chandelles | . | — | | C’est | grande chose, | dit | | Hircan, | qu’en | | | quelque | sorte | | que ce | soit | , | il | faut toujours | que les femmes | fassent | mal | . | — | Est-ce | mal | fait | , | dit | Nomerfide, | | de porter des chandelles | aux | sépulcres | ? | — | Oui, | dit | | Hircan, | | quand | on | met | le feu | au | | front | des | hommes | ; | car | nul | bien | ne se | doit | | dire bien | | s’il | est | fait | avec | mal. | | Pensez que | la pauvre femme | cuidoit | avoir | fait | un | beau | présent | à Dieu | d’une | petite chandelle | ! | — | Dieu | | | | | ne regarde | point | , | | dit | | Oisille, | | la valeur | du | présent | , mais | le | cœur | qui le | présente | ; | peut-être | que | cette | bonne femme | avoit | plus | d’amour | à | Dieu | | que | ceux | | qui donnent | leurs | grandes | torches | ; car | , | comme | dit | l’Évangile | , | elle | donnoit | de | sa | nécessité | . | — | | Si ne | crois-je | | pas, | dit | Saffredant | | , | | que Dieu | , | qui est | | souveraine | sapience, | sût | avoir | agréable | la | sottise | des femmes | ; | car | , | combien | que | la simplicité | lui | plaise | , | je | vois | | par | l’Écriture | | qu’il | déprise | l’ignorant | ; | et | , | s’il | commande | d’être | simple comme | | colombe | , il | ne commande moins | d’être | prudents | comme | serpents | . | — | Quant est de | moi | , | | dit | Oisille, | | je n’estime | point | être | ignorante | celle | | qui porte devant Dieu | sa chandelle | | ou | cierge | ardent | , comme faisant amende | honorable | , les | genoux | en terre | , | et | la torche au poing | , | devant | son souverain Seigneur | , auquel | , | confessant | sa | damnation | , demande | , | en ferme | espérance | , | miséricorde | et | salut. | — | Plût | à Dieu, | dit | | Dagoucin, | | que | chacun | l’entendît | aussi | bien que vous | ! | mais je | crois | que les | pauvres | sottes | ne le font pas | à | cette | intention. | » | Oisille | lui | répondit | : | | « | Celles | | qui | | moins | en | savent | parler | , | sont | | celles | | qui | souvent | ont | le | plus de | | sentiment | | de l’amour | | et | volonté | | de Dieu | ; | parquoi ne faut | | | juger | | que | de soi-même | . | | » | | Émarsuitte | | , | en riant, | | lui | dit | : | | « | Ce n’est pas | une | chose | étrange | | d’avoir | fait | peur | à | un | valet | qui | dormoit | ; | car | aussi | basses | femmes | qu’elles | | ont | bien | fait | peur | à de | bien | grands princes | , | sans leur | mettre | le feu au front. | | — | | Je suis | sûr, dit | | | | Dagoucin | | , | | que vous en | savez | quelque | histoire | | que vous | voulez | raconter | ; | parquoi | | vous | tiendrez mon lieu | , s’il vous | plaît | . | — | Le | conte | ne sera pas long | | , | | dit | Émarsuitte | | ; | | | | mais | | si je | | le | pouvois | représenter | | | tel | qu’il | advint | , vous n’auriez | point | envie | de | pleurer | . | » |
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W5 | LXVe | | | NOUVELLE | | | La fausseté | | | | | | | | | | | | | d’un | miracle | | que les prestres | Saint | Jehan | de Lyon | vouloient | cacher | | fut | découverte | par la | congnoissance | | | | | | | | | de | la | sottise | d’une vieille | . | EN | l’église | | Sainct Jehan | de Lyon | , | y a | une | | | chappelle | fort obscure | | | , | et | | dedans | | un | sépulcre | | faict | de | pierre | à | grans | personnages | eslevez | | | comme le vif | | ; | et | sont | à l’entour | du | sépulcre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchez | . | Un | jour | , | un | souldart | | se | pourrnenant | | dans | l’église | , | au | temps | | d’esté | | qui | faict | grand | chault | , | | luy | | print | | envye | de | dormir | . | Et | , | regardant | ceste | chappelle | obscure | | et | fresche | , | | | pensa | | d’aller | | garder | | | le | sépulcre | , | en | dormant | comme les | aultres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint-il | | que | une | bonne | vieille | fort | dévote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | , | et | , | après | qu*elle | eut | dict | ses | dévotions | , | tenant | une chandelle | ardente | en | sa main, | la voulut | attacher | au | sépulcre | . | Et | , | | | trouvant | le plus | près | d’icelluy | cest | homme | endormy | | , | la | luy voulut | | | | mettre | au | front | , | pensant | | qu’il | fust | de pierre | . | Mais la | cire | ne | peut | tenir contre | la | pierre | ; | la bonne | Dame | , | qui | pensoit | que | ce | fust | à cause de la | froideur | de | l’ymage | , luy | va | | mettre | le feu contre le | front | , | pour y | faire tenir sa | bougye | | | . | Mais l’ymage | | , | | qui | n’estoit | | insensible | , | commencea | à crier | ; | | dont | la | bonne | femme eut | si grand | paour | , | que | | comme | toute | hors | du | sens | | se | print | à | cryer | | | miracle | , | | | | | | | tant | | que tous | ceulx | | qui | estoient | dedans | l’eglise | | coururent | , | les | uns | à sonner les | cloches, les | autres | à | | veoir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | veoir | l’ymage | qui | estoit | remuée | | ; | qui | donna occasion à plusieurs de | | rire | | , | mais | les | prestres | ne | s’en | | pouvoient | contenter | , | car | ilz | avoient | bien | délibéré | de faire | valloir | ce | sépulcre | et | | en | tirer | autant d’argent que du crucifix qui est sur | leur | pupiltre | , lequel | on dict | avoir parlé | ; | mais la | comédie | print | fin pour la | congnoissance | de la | sottise | d’une femme | . | « | Si | chascun | congnoissoit | quelles sont leurs sottises | , | elles ne | seroient | pas estimées | sainctes ny | leurs miracles | vérité | . | Vous priant | , | mes Dames, | doresnavant | regarder | à | quelz sainctz | | vous | baillerez | voz | chandelles | . | — | | C’est | grande chose, | » | dist | Hircan, | « | que | , en | quelque | sorte | | que ce | soit | , | il | fault tousjours | que les femmes | facent | mal | . | — | Est-ce | mal | faict, | » | dist | Nomerfide, | « | de porter des chandelles | au | sépulcre | ? | — | Ouy, | » | dist | Hircan, | « | quand | on | met | le feu | contre | le | front | aux | hommes | , | car | nul | bien | ne se | doibt | | dire bien | , | s’il | est | faict | avecq mal. | | — | Pensez que | la pauvre femme | cuydoit | avoir | faict | un | beau | présent | à Dieu | d’une | petite chandelle | ? | » | ce dist | ma Dame Oisîlle. | | « | Je | ne regarde | point | la valleur | | | | | | | du | présent | , mais | le | cueur | qui le | présente | . | Peut estre | que | ceste | bonne femme | avoit | plus | d’amour | à | Dieu | , | que | ceulx | | qui donnent | les grandz | | torches | , | car | , comme | dist | l’Évangile | , | elle | donnait | de | sa | nécessité | . | — | | Si ne | croy-je | | pas, | » | dist | Saffredent | , | « | que Dieu | , | qui est | | souveraine | sapience, | peut | avoir | agréable | la | sottise | des femmes | ; | car | , | nonobstant | que | la simplicité | luy | plaise | , | je | voy | , | par | l’Escripture | , | qu’il | desprise | l’ignorant | ; | et | , | s’il | commande | d’estre | simple comme | la | coulombe | , il | ne commande moins | d’estre | prudent | comme | le serpent | . | — | Quant est de | moy | , | » | dit | Oisille, | « | je n’estime | point | | ignorante | celle | | qui porte devant Dieu | sa chandelle | , | ou | cierge | ardent | , comme faisant amende | honnorable | , les | genoulx | en terre | | et | la torche au poing | | devant | son souverain Seigneur | , auquel | | confesse | sa | damnation | , demandant | | en ferme | espérance | la | miséricorde | et | salut. | — | Pleust | à Dieu, | » | dist | Dagoucin, | « | que | chascun | l’entendist | aussy | bien que vous | , | mais je | croy que ces | | pauvres | sottes | ne le font pas | à | ceste | intention. | » | Oisille | leur | respondit | : | — | « | Celles | | qui | | moins | en | sçavent | parler | | sont | | celles | | qui | | ont | | plus de | | sentiment | | de l’amour | | et | volunté | | de Dieu | ; | parquoy | ne | fault | juger | | que | soy-mesmes. | | | » | | Ennasuitte | | , | en riant, | | luy dist | | : | — | « | Ce n’est pas | | chose | estrange | que | d’avoir | faict | paour | à | un | varlet | qui | dormoit | , | car | aussy | basses | femmes | qu’elles | | ont | bien | faict | paour | à de | bien | grands princes | , | sans leur | mettre | le feu au front. | | — | | Je suis | seur, | » | | dist | | Geburon | , | « | que vous en | sçavez | quelque | histoire | | que vous | voulez | racompter | ? | Parquoy | , | vous | tiendrez mon lieu | , s’il vous | plaist | . | — | Le | compte | ne sera pas long | | , | » | | dist | Ennasuite | | | , | « | mais | | si je | | le | pouvois | représenter | | | tel | que | advint | , vous n’auriez | point | envye | de | pleurer | . | » |
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W6 | SOIXANTE | | CINQUIESME | NOUVELLE | | | La fausseté | | | | | | | | | | | | | d’un | miracle | , | que les Prestres | Sainct-Jean | | de Lyon | vouloient | cacher | , | fut | découverte | par la | connoissance | | | | | | | | | de | la | sottise | d’une vieille | . | En | l’église | Sainct-Jehan | de Lyon | | | y a | une | | | chappelle | fort obscure | | | , | & | | dedans | | ung | Sépulcre | | faict | de | pierre | à | grans | personnages | eslevez | | | comme le vif | | , | & | sont | à l’entour | du | sépulcre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchez | . | Ung | jour | , | ung | souldart | | se | pourmenant | | dans | l’église | | au | temps | | d’esté | | qu’i | faict | grand | chault | , | | luy | | print | | envye | de | dormyr | , | & | , | regardant | ceste | chappelle | obscure | | & | fresche | , | | | pensa | | d’aller | | garder | | | le | Sépulcre | , | en | dormant | comme les | aultres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint | il | que | une | bonne | vieille | fort | dévote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | & | | , | après | qu’elle | eust | dist | ses | dévotions | , | tenant | une chandelle | ardente | en | sa main, | la voulut | attacher | au | Sépulcre | , & | | , | | | trouvant | le plus | près | d’icelluy | cest | homme | endormy | | , | la | luy voulut | mectre | | | | au | front | , | pensant | | qu’il | fût | de pierre | , | mais la | cire | ne | peut | tenir contre | la | pierre | . | La bonne | dame | , | qui | pensoit | que | ce | fust | à cause de la | froideure | de | l’ymage | , luy | vat | mectre | | le feu contre le | front | , | pour y | faire tenir sa | bougye | | , | | mais l’ymage | | | | qui | n’estoit | | insensible | | commencea | à crier | | , | dont | la | bonne | femme eut | si grand | paour | , | que | , | comme | toute | hors | du | sens | , | se | print | à | cryer | : | | Miracle | , | | | | | | | tant | | que tous | ceulx | | qui | estoient | dedans | l’église | | coururent | | les | ungs | à sonner les | cloches, les | aultres | à | | veoir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | veoir | l’ymaige | qui | estoyt remue | | , | | qui | donna occasion à plusieurs de | rire | | ; | | mais | les | plusieurs ne | | s’en | | povoient contanter | | , | car | ilz | avoient | bien | delibéré | de faire | valloir | ce | Sépulcre | | & | en | tirer | autant d’argent que du crucifix qui est sur | leur | peupistre | , lequel | on dict | avoir parlé | , | mais la | comedie | print | fin pour la | congnoissance | de la | sottize | d’une femme | . | Si | | chacun | congnoissoyt | quelles sont leurs sottises | , | elles ne | seroient | pas estimées | sainctes ny | leurs miracles | vérité | , | vous priant | , | mes Dames, | doresnavant | regarder | à | quelz sainctz | | vous | baillerez | vos | chandelles | . | « | | C’est | grande chose, | » | dist | Hircan, | « | que | , en | quelque | sorte | | que ce | soyt | , | il | fault tousjours | que les femmes | facent | mal | . | — | Est-ce | mal | faict, | » | dist | Nomerfide, | « | de porter des chandelles | au | Sépulcre | ? | — | Ouy, | » | dist | Hircan, | « | quant | on | mect | le feu | contre | le | front | aux | hommes | , | car | nul | bien | ne se | doibt | | dire bien | , | s’il | est | faict | avecq mal. | | | Pensez que | la pauvre femme | cuydoit | avoir | faict | ung | beau | présent | à Dieu | d’une | petite chandelle | . | » | Ce dist | Madame Oisille | : | « | Je | ne regarde | poinct | la valleur | | | | | | | du | présent | , mais | le | cueur | qui le | présente | . | Peut estre | que | ceste | bonne femme | avoyt | plus | d’amour | à | Dieu | | que | ceulx | | qui donnent | les grandz | | torches | , | car | , comme | dist | l’Evangile | , | elle | donnoyt | de | sa | necessité | . | — | | Si ne | croy | je | pas, | » | dist | Saffredent | , | « | que Dieu | , | qui est | | souveraine | sapience, | peut | avoir | agréable | la | sottise | des femmes | , | car | , | nonobstant | que | la simplicité | luy | plaise | , | je | voy | , | par | Escripture | | qu’il | desprise | l’ignorant | , | & | , | s’il | commande | d’estre | simple comme | la | coulombe | , il | ne commande moins | d’estre | prudent | comme | le serpent | . | — | Quant est de | moy | , | » | dit | Oisille, | « | je n’estime | poinct | ignorance | | celle | | qui porte devant Dieu | sa chandelle | , | ou | cierge | ardant | , comme faisant amende | honnorable | , les | genoulx | en terre | | & | la torche au poing | | devant | son souverain Seigneur | , auquel | | confesse | sa | damnacion | , demandant | | en ferme | espérance | la | miséricorde | & | salut. | — | Pleut | à Dieu, | » | dist | Dagoucin, | « | que | chascun | l’entendist | aussy | bien que vous | , | mais je | croy que ces | | pauvres | sottes | ne le font pas | à | ceste | intention. | » | Oisille | leur | respondit | : | | « | Celles | | qui | | moins | en | sçavent | parler | | sont | | celles | | qui | | ont | | plus de | | sentement | | de l’amour | | & | volunté | | de Dieu | ; | par quoy | ne | fault | juger | | que | soy-mesmes. | | » | | Ennasuicte | | | | en riant | | luy dist | | : | | « | Ce n’est pas | | chose | estrange | que | d’avoir | faict | paour | à | ung | varlet | qui | dormoit | , | car | aussy | basses | femmes | qu’elle | | ont | bien | faict | paour | à de | bien | grands Princes | , | sans leur | mectre | le feu au front. | | — | | Je suis | seur, | » | | dist | | Geburon | , | « | que vous en | sçavez | quelque | histoire | | que vous | voulez | racompter | , par quoy | | | vous | tiendrez mon lieu | , s’il vous | plaist | . | — | Le | compte | ne sera pas long | » | , | | | dist | Ennasuicte | | ; | | « | mais | , | si je | le | | povois | représenter | | | tel | que | advint | , vous n’auriez | poinct | envye | de | pleurer | . | » |
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W7 | | | | NOUVELLE | | SOIXANTECINQIESME | Simplicité d’une vieille | | qui | presenta | une chandelle | ardante | à | Sainct | Jean | de Lyon, | et | l’attacha | contre le front | d’un | soldat | | qui | dormoit sur un | sepulchre | ; | et | de | ce | qui | en | advint | | . | EN | l’eglise | Sainct Jean de Lyon | | y avoit | une chapelle fort obscure | , et | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | | dedans | | un | sepulchre | | faict | de | pierres, | à | grands | personnages | eslevez | | | comme le vif | | , | et | sont | à l’entour | du | sepulchre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchez | . | Un | | | | soldat | | se | promenant | un jour | dans | l’eglise | , | au | temps | | d’esté | | qu’il | faict | grand | chauld | , | | luy | | print | envie | | de | dormir | , | et | , | regardant | ceste | chapelle | obscure | | et | fresche | , | | | pensa | | d’aller | | | au | | sepulchre | | dormir | | | comme les | autres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint | qu’une | | | bonne | vieille | fort | devote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | , | et | , | après | qu’elle | eut | dict | ses | devotions | , | tenant | une chandelle | | en | sa main, | la voulut | attacher | au | sepulchre | , | et | , | là | | trouvant | le plus | prés | d’icelle | cest | homme | endormy | | , | la | luy voulut | | | | mettre | au | front | , | pensant | | qu’il | fust | de pierre | ; | mais la | cire | ne | peut | tenir contre | ceste | pierre | . | La bonne | dame | , | qui | pensoit | que | ce | fust | à cause de la | froideur | de | l’image | , luy | | va | mettre | le feu contre le | front | | pour y | faire tenir sa | | bougie | | ; | mais | | l’image | , | qui | n’estoit | | insensible | , | commença | à | s’escrier | , | dont | la | | femme eut | | peur | , | et | , | comme | toute | hors | du | sens | , | se | print | à | crier | : | « | | | Miracle | ! | miracle | | ! | » | tant | | que tous | ceux | | qui | estoient | dans | l’eglise | | coururent | , | les | uns | à sonner les | cloches, les | autres | à | venir | veoir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | veoir | l’image qui | s’estoit | | remuée | , | | qui | donna occasion à plusieurs de | rire | | ; | | mais | quelques | prestres | ne | s’en | | pouvoient | contenter | , | car | ils | avoient | bien | deliberé | de faire | valoir | ce | sepulchre | et | | en | tirer | argent | | | | | | | | | | | | | | | . | « | Regardez | doncques | | | | | | | | | | | | , | mes Dames, | | | à | quels | saincts | vous | donnerez | voz | chandelles | . | — | | C’est | grande chose, | | dist | Hircan, | qu’en | | | quelque | sorte | | que ce | soit | , | il | fault tousjours | que les femmes | facent | mal | . | — | Est-ce | mal | faict, | | dist | Nomerfide, | | de porter des chandelles | aux | sepulchres | ? | — | Ouy, | | dist | Hircan, | | quand | on | mect | le feu | au | | front | des | hommes | : | car | nul | bien | ne se | doit | | dire bien | | s’il | est | faict | avec | mal. | | Pensez que | la pauvre femme | cuidoit | avoir | faict | un | beau | present | à Dieu | d’une | petite chandelle | ! | — | | | | | Je | ne regarde | point | , | dist | | | Oisille, | | la valeur | du | present | , mais | le | cueur | qui le | présente | Peult-estre | | que | ceste | bonne femme | avoit | plus | d’amour | à | Dieu | | que | ceux | | qui donnent | leurs | grandes | torches | , | car | (comme | dist | l’Evangile) | | elle | donnoit | de | sa | necessité | . | — | | Si ne | croy-je | | pas, | | dist | Saffredent | , | | que Dieu | , | qui est | | souveraine | sapience, | sceust | avoir | aggreable | la | sottise | des femmes | : | car | , | combien | que | la simplicité | luy | plaise | , | je | voy | | par | l’Escriture | | qu’il | desprise | l’ignorant | , | et | , | s’il | commande | d’estre | simples comme colombes | | | , il | ne commande moins | d’estre | prudens comme serpens | | | . | — | Quant est de | moy | , | dist | | Oisille, | | je n’estime | point | estre | ignorante | celle | | qui porte devant Dieu | sa chandelle | | ou | cierge | ardent | , comme faisant amende | honorable | , les | genoux | en terre | | et | la torche au poing | , | devant | son souverain Seigneur | , auquel | , | confessant | sa | damnation | , demande | | en ferme | esperance | | misericorde | et | salut. | — | Pleust | à Dieu, | | dist | Dagoucin, | | que | chacun | l’entendist | aussi | bien que vous | ! | Mais je | croy | que les | pauvres | sottes | ne le font pas | à | ceste | intention. | » | Oisille | luy | respondit | : | | « | Celles | | qui | | moins | en | sçavent | parler | | sont | | celles | | qui | souvent | ont | le | plus de | | sentiment | | de l’amour | | et | volonté | | de Dieu | ; | parquoy | ne | fault | juger | | que | de soy-mesme | . | | » | | Emarsuitte | | , | en riant, | | luy dist | | : | | « | Ce n’est pas | | chose | estrange | | d’avoir | faict | peur | à | un | varlet | qui | dormoit | , | car | aussi | basses | femmes | qu’elle | | ont | bien | faict | peur | à de | bien | grands princes | | sans leur | mettre | le feu au front. | | — | | Je suis | seur, | | dist | | Dagoucin | | , | | que vous en | sçavez | quelque | histoire | | que vous | voulez | racompter | ; | parquoy | | vous | tiendrez mon lieu | , s’il vous | plaist | . | — | Le | compte | ne sera pas long | | , | | | dist | Emarsuitte | | | ; | | mais | , | si je | le | | pouvois | representer | | | tel | qu’il | avint | , vous n’auriez | point | envie | de | plorer | . | » |
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W8 | SOIXANTE-CINQUIÈME | | | NOUVELLE | | | Simplicité d’une vieille | | qui | présenta | une chandelle | ardente | à | Saint-Jean | | de Lyon, | et | l’attacha | contre le front | d’un | soldat | | qui | dormait en un sépulcre | | . | Simplicité d’une vieille | | | qui | présenta une chandelle ardente à | | | | | | Saint-Jean de Lyon | | | | , et | l’attacha contre le front d’un soldat qui dormait en un sépulcre | | | | . | En | l’église | Saint-Jean | | de Lyon | , | y a | une | | chapelle | | fort obscure | | | | et | , | dedans | , | | un | Sépulcre fait | | de | pierre | à | grands | personnages | élevés | | | comme le vif | | ; | et | sont | à l’entour | du | sépulcre | plusieurs | | hommes | d’arme | couchés | . | Un | jour | , | un | soudard | | se | promenant | un jour | dans | l’église | | au | temps | | d’été | | qu’il | fait | grand | chaud | , | lui | | prit | | envie | | de | dormir | . | Et | | regardant | cette | chapelle | obscure | | et | fraîche | , | | | pensa | | d’aller | | garder | | | le | Sépulcre | | en | dormant | comme les | autres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint | qu’une | | | bonne | vieille | fort | dévote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | | et | , | après | qu’elle | eut | dit | ses | dévotions | , | tenant | une chandelle | ardente | en | sa main, | la voulut | attacher | au | Sépulcre | . | Et | | | | trouvant | le plus | près | d’icelui | cet | homme | endormi | | , | la | | | lui | voulut | mettre | au | front | , | pensant | | qu’il | fût | de pierre | . | Mais la | cire | ne | put | tenir contre | la | chair | . | La bonne | dame | , | qui | pensait | que | ce | fût | à cause de la | froidure | de | l’image | | , lui | va | mettre | le feu contre le | front | | pour y | faire tenir sa | | bougie | | . | Mais | | l’image | , | qui | n’était | | insensible | , | commença | à crier | ; | | dont | la | bonne | femme eut | si grand | peur | | que | , | comme | toute | hors | du | sens | , | se | prit | à | crier | | | miracle | , | | | | | | | tant | | que tous | ceux | | qui | étaient | dedans | l’église | | coururent | , | les | uns | à sonner les | cloches, les | autres | à | | voir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | voir | l’image qui | était | | remuée | | ; | qui | donna occasion à plusieurs de | | rire | | , | mais | les | plusieurs ne | | s’en | | pouvaient | contenter | , | car | ils | avaient | bien | délibéré | de faire | valoir | ce | Sépulcre | et | | en | tirer | autant d’argent que du crucifix qui est sur | le pupitre | | , lequel | l’on dit | avoir parlé | . | Mais la | comédie | prit | fin pour la | connaissance | de la | sottise | d’une femme | . | « | Si | chacun | connaissait | quelles sont leurs sottises | , | elles ne | seraient | pas estimées | saintes, ni | leurs miracles | vérité | . | Vous priant | , | mesdames, dorénavant | | regarder | à | quels | saints | vous | baillerez | vos | chandelles | ! » | — | « | C’est | grande chose, | dit | | Hircan, | qu’en | | | quelque | sorte | | que ce | soit | , | il | faut toujours | que les femmes | fassent | mal | . | » — « | Est-ce | mal | fait | , | dit | Nomerfide, | | de porter des chandelles | au | Sépulcre | ? | » — « | Oui, | dit | | Hircan, | | quand | on | met | le feu | contre | le | front | aux | hommes | , | car | nul | bien | ne se | doit | | dire bien | | s’il | n’est | fait | avec | mal. | | Pensez que | la pauvre femme | cuidait | avoir | fait | un | beau | présent | à Dieu | d’une | petite chandelle | ! | » — « | | | | | Je | ne regarde | point | , | ce | dit | Mme | Oisille, | | la valeur | du | présent | , mais | le | cœur | qui le | présente | . | Peut-être | que | cette | bonne femme | avait | plus | d’amour | à | Dieu | | que | ceux | | qui donnent | les grandes | | torches | , | car | , comme | dit | l’Évangile | , | elle | donnait | de | sa | nécessité | . | » — « | | Si ne | crois-je | | pas, | dit | | Saffredent | , | | que Dieu | , | qui est | | souveraine | sapience, | sût | avoir | agréable | la | sottise | des femmes | ; | car | | nonobstant | que | la simplicité | lui | plaît | , | je | vois | , | par | l’Écriture | , | qu’il | déprise | l’ignorant | . | Et | | s’il | commande | d’être | simple comme | la | colombe | , il | ne commande moins | d’être | prudent | comme | le serpent | . | » — « | Quant est de | moi | , | | dit | Oisille, | | je n’estime | point | être | ignorante | celle | | qui porte devant Dieu | sa chandelle | | ou | cierge | ardent | , comme faisant amende | honorable | , les | genoux | en terre | | et | la torche au poing | , | devant | son souverain Seigneur | , auquel | , | confesse | sa | damnation | , demandant | | en ferme | espérance | la | miséricorde | et | salut. | » — « | Plût | à Dieu, | dit | | Dagoucin, | | que | chacun | l’entendît | aussi | bien que vous | , | mais je | crois | que les | pauvres | sottes | ne le font pas | à | cette | intention. | » | Oisille | leur | répondit | : | | « | Celles | | qui | | moins | en | savent | parler | | sont | | celles | | qui | | ont | | plus de | | sentiment | | de l’amour | | et | | volonté | de Dieu | . | Parquoi ne faut | | | juger | | que | de soi-même | . | | » | | Ennasuite | | | en riant, | | lui | dit | : | | « | Ce n’est pas | une | chose | étrange | | d’avoir | fait | peur | à | un | valet | qui | dormait | ; | car | aussi | basses | femmes | qu’elle | | ont | bien | fait | peur | à de | bien | grands princes | , | sans leur | mettre | le feu au front. | » | — | « | Je suis | sûr, dit | Géburon | | | | | , | | que vous en | savez | quelque | histoire | | que vous | voulez | raconter | . | Parquoi | , | vous | tiendrez mon lieu | , s’il vous | plaît | . | » — « | Le | conte | ne sera pas long | | , | | dit | | Ennasuite | | | , | | mais | , | si je | le | | pouvais | représenter | | | tel | qu’advint | | , vous n’auriez | point | envie | de | pleurer | . | » |
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W9 | Soixante | | cinquiesme | nouvelle | | | La fausseté | | | | | | | | | | | | | d’un | miracle | | que les prestres | Sainct-Jean | | de Lyon | vouloyent | cacher | , | fut | decouverte | par la | congnoissance | | | | | | | | | de | la | sotye | d’une vieille | . | En | l’eglise | Sainct-Jehan | | de Lyon | , | y a | une | | | chappelle | fort obscure | | | , | et | , | dedans | , | ung | | Sepulcre | faict | de | pierre | à | grans | personnages | eslevez | , | | comme le vif | | ; | et | sont | à l’entour | du | sepulcre | plusieurs | | hommes | d’armes | couchez | . | Ung | jour | , | ung | souldart | | se | pourmenant | | dans | l’eglise | , | au | temps | | d’esté | | qui | faict | grand | chault | , | | luy | | print | | envye | de | dormyr | . | Et | , | regardant | ceste | chappelle | obscure | | et | fresche | , | | | pensa | | d’aller | | garder | | | le | Sepulcre | , | en | dormant | comme les | aultres | , | auprès | desquels | il se coucha. | Or | | advint-il | | que | une | bonne | vielle | fort | devote | arriva | | au plus fort de son | sommeil | | , | et | , | après | qu’elle | eut | dict | ses | devotions | , | tenant | une chandelle | ardante | en | sa main, | la voulut | attacher | au | Sepulcre | . | Et | , | | | trouvant | le plus | près | d’icelluy | cest | homme | endormy | | , | la | luy voulut | mectre | | | | au | front | , | pensant | | qu’il | fut | de pierre | . | Mais la | cire | ne | peut | tenir contre | la | pierre | ; | la bonne | dame | , | qui | pensoit | que | ce | fust | à cause de la | froideure | de | l’ymage | , luy | vat | mectre | | le feu contre le | front | , | pour y | faire tenir sa | bougye | | | . | Mais l’ymage | | , | | qui | n’estoit | | insensible | , | commencea | à crier | ; | | dont | la | bonne | femme eut | si grand | paour | , | que | , | comme | toute | hors | du | sens | , | se | print | à | cryer | | | miracle | , | | | | | | | tant | | que tous | ceulx | | qui | estoient | dedans | l’eglise | | coururent | , | les | ungs | à sonner les | cloches, les | aultres | à | | veoir | le | miracle. | Et la bonne femme | les mena | veoir | l’ymaige | qui | estoit | remuée | | ; | qui | donna occasion à plusieurs de | | rire | | , | mais | les | plusieurs ne | | s’en | | povoient contanter | | , | car | ilz | avoient | bien | deliberé | de faire | valloir | ce | Sepulcre | et | | en | tirer | autant d’argent que du crucifix qui est sur | leur | pupiltre | , lequel | on dict | avoir parlé | ; | mais la | comedie | print | fin pour la | congnoissance | de la | sottise | d’une femme | . | « | Si | chacun | congnoissoit | quelles sont leurs sottises | , | elles ne | seroient | pas estimées | sainctes ny | leurs miracles | verité | . | Vous priant | , | mes dames, | doresnavant | regarder | à | quelz sainctz | | vous | baillerez | vos | chandelles | . | — | | C’est | grande chose, | | dist | Hircan, | | que | , en | quelque | sorte | | que ce | soit | , | il | fault tousjours | que les femmes | facent | mal | . | — | Est-ce | mal | faict, | | dist | Nomerfide, | | de porter des chandelles | au | Sepulcre | ? | — | Ouy, | | dist | Hircan, | | quant | on | mect | le feu | contre | le | front | aux | hommes | , | car | nul | bien | ne se | doibt | | dire bien | , | s’il | est | faict | avecq mal. | | — | Pensez que | la pauvre femme | cuydoit | avoir | faict | ung | beau | present | à Dieu | d’une | petite chandelle | ! | | ce dist | madame Oisille | . | | Je | ne regarde | poinct | la valleur | | | | | | | du | present | , mais | le | cueur | qui le | presente | . | Peut estre | que | ceste | bonne femme | avoit | plus | d’amour | à | Dieu | , | que | ceulx | | qui donnent | les grandz | | torches | , | car | , comme | dict | l’Evangile | , | elle | donnoit | de | sa | necessité | . | — | | Si ne | croy-je | | pas, | | dist | Saffredent | , | | que Dieu | , | qui est | | souveraine | sapience, | sceut | avoir | agreable | la | sottise | des femmes | ; | car | , | nonobstant | que | la simplicité | luy | plaist | , | je | voy | , | par | l’Escripture | , | qu’il | desprise | l’ignorant | ; | et | , | s’il | commande | d’estre | simple comme | la | coulombe | , il | ne commande moins | d’estre | prudent | comme | le serpent | . | — | Quant est de | moy | , | | dit | Oisille, | | je n’estime | poinct | | ignorante | celle | | qui porte devant Dieu | sa chandelle | , | ou | cierge | ardant | , comme faisant amende | honorable | , les | genoulx | en terre | | et | la torche au poing | | devant | son souverain Seigneur | , auquel | | confesse | sa | dannacion | , demandant | | en ferme | esperance | la | misericorde | et | salut. | — | Pleut | à Dieu, | | dist | Dagoucin, | | que | chascun | l’entendist | aussy | bien que vous | , | mais je | croy que ces | | pauvres | sottes | ne le font pas | à | ceste | intention. | » | Oisille | leur | respondit | : | | « | Celles | | qui | | moins | en | sçavent | parler | | sont | | celles | | qui | | ont | | plus de | | sentiment | | de l’amour | | et | volunté | | de Dieu | ; | parquoy | ne | fault | juger | | que | soy-mesmes. | | | » | | Ennasuitte | | , | en riant, | | luy dist | | : | | « | Ce n’est pas | | chose | estrange | que | d’avoir | faict | paour | à | ung | varlet | qui | dormoit | , | car | aussy | basses | femmes | qu’elle | | ont | bien | faict | paour | à de | bien | grands princes | , | sans leur | mectre | le feu au front. | | — | | Je suis | seur, | | | dist | | Geburon | , | | que vous en | sçavez | quelque | histoire | | que vous | voulez | racompter | ? | Parquoy | , | vous | tiendrez mon lieu | , s’il vous | plaist | . | — | Le | compte | ne sera pas long | | , | | | dist | Ennasuitte | | | , | | mais | , | si je | le | | povois | representer | | | tel | que | advint | , vous n’auriez | poinct | envye | de | pleurer | . | » |
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